Sunday, September 5, 2010

Wanna live the life of 1st year BIT hostel again....??



///सचमुच कमाल था वो बी का पहला साल था ///

वो पहली रात जो हमने हॉस्टल में बिताई थी
एक पाँव पर खड़े कर के जो नाच हमको नचाई थी
गालों को सहला कर सारे फंडे बताये थे
९० पे झुक कर सलाम करना सिखाये थे
पहली बार गालो का रंग यारों लाल था
सचमुच कमाल था वो बी ई का पहला साल था...:-)


कॉलेज का पहला दिन था
दिल में बड़ा अरमान था
पर लाइट शर्ट और डार्क पैंट के सिवा
सब कुछ यारों अनजान था
बंक का पुराना अनुभव था बहनों का ख़जाना था
कॉलेज से जल्दी जाना था
क्योंकि अगले दिन जल्दी आना था
आखिर उसके पीछे वाली सीट का सवाल था


सचमुच कमल था, वो बी ई क पहला साल था .....:-)

रात को अकेले में जब भूख हमे सताती थी
तो शीशमहल में बनने वाले पोहे की याद आती थी
जान हथेली पर रखकर हम पोहा खा कर आते थे
सूरज को गूड्मोर्निंग कह कर चैन से सो जाते थे
कॉलेज कैसे जाते अब तो इज्जत क सवाल था

सचमुच कमाल था वो बी ई क पहला साल था .... :-)

बिस्तर के नीचे कोई सी डी छिपाया करता था
तो अलमारी के पीछे कोई बीडी छिपाया करता था
कोई बीना माँगे सबको सलाह दिया करता था
तो कोई अकेले अंधेरों में सिगरेट पिया करता था
चार दीवारों के भीतर वो अलग ही संसार था
कुछ अलग करने का सबको भूत-सा सवार था
हर दिन होते थे हंगामे,होता हर रात को बवाल था

सचमुच कमाल था वो बी ई का पहला साल था.....:-)


और एक दिन अचानक खतरे क पैगाम आ गया
छलकती आँखों ने बताया सेमेस्टर एक्जाम आ गया
पहली बार लाइफ में भगवान् की याद आई थी
छः महीनो की पढाई छः रातों में जो समाई थी
खैर मेरा तो भगवान् ने जैक लगा दिया
पर मेरे दोस्तों का यूनिवर्सिटी ने बैक लगा दिया
अंतिम वक़्त पर दोस्तों का साथ न दे पाया
बस इसी बात क मलाल था

सचमुच कमाल था वो बी ई का पहला साल था .......:-)

2 comments:

  1. kya baya karien apke is nazm k naam .. zindagi ki kitab samet di apne kuch lamho k naam !!!!

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  2. maza aa gaya bhai padhke....lagta hai maine ghar me reh kar bahut kuch miss kiya :)

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