Tuesday, December 14, 2010

मुहब्बत हो न जाये

नज़रों से पी रहे हैं कहीं नजाकत हो जाये
तेरी नफरत से ही कहीं मुहब्बत हो जाये

नज़रें मिला के बोलोगे, तो नज़रें झुका लेंगे
झुकती नज़रों से भी कहीं इबादत हो जाये


तेरी चाहत पे नहीं हम तो तेरी नफरत पे मरते हैं
अश्कों के शराब कि कहीं आदत हो जाये

यूँ तो ज़िन्दगी में हमने हर जंग फतह कि है
जंग- -मुहब्बत में कहीं शहादत हो जाये

चाहते हैं नज़र बंद कर के ता -क़यामत तुमको देखें
नज़रें हटी और कहीं क़यामत हो ना जाये....

नज़रों से पी रहे हैं ...नजाकत हो जाये....