Saturday, March 5, 2011

Dedicated to the one next to GOD.. MAA...



















एक दिए के लौ की तरह ,जलती तू मेरे लिए
काँटो मे फूल ढूँढती चलती तू मेरे लिए ....

मुझे और मेरी भूलों को अपने आँचल मे छिपाती
माथे को चूम-चूम कर बालों को सहलाती
कहीं दूर मेरी याद मे मचलती तू मेरे लिए
एक दिए के लौ की तरह ,जलती तू मेरे ....

ओ माँ !...ओ माँ! ..ओ माँ.. !

रूठ जाऊं गर कहीं तो रूठ जाती है तू
चाहे सता लूँ जितना,मुस्कुराती है तू
महफ़िल--जुदाई मे किसी मोम की तरह,पिघलती तू मेरे लिए
एक दिए के लौ की तरह ,जलती तू मेरे लिए....

ओ माँ !...ओ माँ! ..ओ माँ.. !

नव महीने सर्वस्व देकर
माँ !तूने मुझे ,मानव बनाया
कौन है त्रिलोक में-
जिसने तेरा है ऋण चुकाया ..
सब यहाँ बदल गए बस नहीं बदलती तू मेरे लिए ...

एक दिए के लौ की तरह ,जलती तू मेरे ....
काँटो मे फूल ढूँढती चलती तू मेरे लिए ....

ओ माँ !...ओ माँ! ..ओ माँ.. !

Saturday, February 5, 2011

आ जाए तेरी जुबान पर वो नाम दे देना

अनजाने रिश्ते को अंजाम दे देना ...

आ जाए तेरी जुबान पर वो नाम दे देना
अनजाने रिश्ते को अंजाम दे देना ...
न हो तुम नए ,न नयी चीज़ है मुहब्बत
न काफी है मुहब्बत का पैगाम दे देना
महंगाई में ईमान कि कीमत भी बढा लो
बुरा है बस सस्ते में ईमान दे देना ...
बोतलों में बंद पानी ,और बे-आबरू शराब
बेहतर है प्यासे को छलकता जाम दे देना ....
यूँ तो मुश्किल है तलाशना लेकिन
दे सको तो ,बस एक इंसान दे देना ...